महा आयुर्वेदि जडीबूटी कबीला
कम्पिल्लक (कबीला) एक सुन्दर फल है। यह हल्के लाल रंग का गन्धहीन और स्वादहीन फल है। यह ठण्डे पानी में नहीं घुलता है। यह उबलते हुए पानी में थोड़ा घुलता है, और एल्कोहल और ईथर में पूरी तरह से घुल जाता है। आप कम्पिल्लक के बारे में शायद बहुत अधिक जानते होंगे। आयुर्वेदिक किताबों में कम्पिल्लक के फायदे के बारे में बहुत कुछ बताया गया है। क्या आप जानते हैं कि गले के रोग, डायबिटीज, पेट के रोग में कम्पिल्लक के इस्तेमाल से लाभ मिलता है।भूख की कमी, घाव, कब्ज में कम्पिल्लक (कबीला) के उपयोग से लाभ मिलता है। इसके अलावा भी कम्पिल्लक (कबीला) के और भी लाभ हैं। आइए जानते हैं कि आप किस-किस रोग में कम्पिल्लक (कबीला) के फायदे ले सकते हैं।
कबीला क्या है?
कम्पिल्लक के वृक्ष लगभग 10 मीटर तक ऊँचे और अनेक शाखा-प्रशाखाओं से युक्त तथा सदा हरे रहने वाले होते हैं। इस वृक्ष की लकड़ी लाल, चिकनी एवं मजबूत होती है। इसके फल गोलाकार तथा बीज श्यामले रंग के, चिकने और लगभग गोलाकार होते हैं। फलों के पकते समय लालिमा युक्त चमकदार फल पराग उत्पन्न होता है। इसी को कबीला कहते है। फलों के पक जाने पर उन्हें मोटे कपड़े में डालकर रगड़ते हैं। इस तरह रज को अलग निकाल लिया जाता है। शुद्ध कबीला हल्का, सुगन्धरहित, स्वाद रहित तथा लालिमायुक्त होता है। उँगली को जल में गीला कर कम्पिल्लक पर रखने से जो रज उँगली में लगे उसे सफेद कागज पर रगड़ दें। यदि पीले रंग की रेखा व निशान पड़ जाए तो उसे शुद्ध मानना चाहिए। यहां कम्पिल्लक के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है ताकि आप कम्पिल्लक के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
कबीला के फायदे
कान के रोग में कम्पिल्लक (कबीला) के फायदेसर्दी-जुकाम में कम्पिल्लक गले के रोग (गण्डमाला) में कम्पिल्लक (कबीला) के औषधीय गुण से लाभ
पेट के रोग (पेट का फूलना) में कम्पिल्लक के सेवन से लाभ
पसली के दर्द (पार्श्वशूल) में कम्पिल्लक (कबीला) के औषधीय गुण से लाभ
पेट में कीड़े होने पर कम्पिल्लक (कबीला) के सेवन से फायदा
कम्पिल्लक (कबीला) के औषधीय गुण से डायबिटीज पर नियंत्रण
मासिक धर्म विकार में कम्पिल्लक (कबीला) के फायदे
अण्डकोष की सूजन में कम्पिल्लक के औषधीय गुण से फायदा
कम्पिल्क के औषधीय गुण से घाव का इलाज
कम्पिल्लक के औषधीय गुण से कुष्ठ रोग का इलाज
कबीला के नुकसान
आप कम्पिल्लक का इस्तेमाल इस तरह से कर सकते हैंः-
चूर्ण – 1-2 ग्राम
यहां कम्पिल्लक के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है ताकि आप कम्पिल्लक के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए कम्पिल्लक का सेवन करने या कम्पिल्लक का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से ज़रूर सलाह लें।
सिताराम सावजी उतेकर

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें