महा आयुवेदि जड़ीबूटी चित्रक
चित्रक क्या है?
साधारणतः चित्रक से सफेद चित्रक ही ग्रहण किया जाता है। सफेद चित्रक वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को शान्त करता है। यह तीखा, कड़वा और पेट के लिए गरम होने के कारण कफ को शान्त करता है। भूख बढ़ाता है, भोजन को पचाता है, उल्टी को रोकता है, पेट के कीड़ों को खत्म करता है। यह खून तथा माता के दूध को शुद्ध करता है। यह सूजन को ठीक करता है।
यह टॉयफायड बुखार को समाप्त करता है। चित्रक की जड़ घावों और कुष्ठ रोग को ठीक करती है। यह पेचिश, प्लीहा यानी तिल्ली की वृद्धि, अपच, खुजली आदि विभिन्न चर्मरोगों, बुखार, मिर्गी, तंत्रिकाविकार यानी न्यूरोडीजिज और मोटापा आदि को भी समाप्त करता है। सफेद चित्रक गर्भाशय को बल प्रदान करता है, बैक्टीरिया और कवकों को नष्ट करता है, कैंसररोधी यानी एंटीकैंसर है, लीवर के घाव को ठीक करता है।
सफेद चित्रक
लाल चित्रक
नीला चित्रक
यह एक सीधा और लंबे समय तक हरा-भरा रहने वाला पौधा होता है। इसका तना कठोर, फैला हुआ, गोलाकार, सीधा तथा रोमरहित होता है। इसके पत्ते लगभग 3.8-7.5 सेमी तक लम्बे एवं 2.2-3.8 सेमी तक चौड़े होते हैं। इसके फूल नीले-बैंगनी अथवा हल्के सफेद रंग के होते हैं।
चित्रक के फायदे
नाक से खून बहने पर चित्रक के चूर्ण का सेवन फायदेमंद
सर्दी-खाँसी में चित्रक के औषधीय गुण के फायदे
सिर दर्द में चित्रक का औषधीय गुण फायदेमंद
दांतों के रोग में चित्रक के औषधीय गुण से लाभ
गले की खराश में चित्रक का सेवन लाभदायक
गण्डमाला (गले की गाँठ) में चित्रक का सेवन फायदेमंद
पाचनतंत्र विकार में चित्रक चूर्ण के सेवन से लाभ
चित्रक के औषधीय गुण से कब्ज का इलाज
चित्रक के औषधीय गुण से बवासीर का उपचार
तिल्ली विकार में चित्रक से फायदा
प्रसव को आसान बनाने के लिए चित्रक का उपयोग
गठिया में लाभदायक चित्रक की जड़ का उपयोग
चर्म रोगों के लिए रामबाण है चित्रक की छाल
चित्रक की जड़ से हिस्टीरिया का इलाज
चित्रक के सेवन से बुखार का इलाज
चूहे का विष उतारने के लिए चित्रक का प्रयोग
पीलिया के इलाज में चित्रक से लाभ
पेचिश से चित्रक के इस्तेमाल से फायदा
लाल चित्रक से खुजली का इलाज
कुष्ठ रोग में लाल चित्रक के फायदे
लाल चित्रक से सफेद दाग का इलाज
- अत्यधिक गर्म होने के कारण चित्रक का प्रयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए।
- लाल चित्रक गर्भ को गिराने वाला होता है इसलिए इसका प्रयोग गर्भवती स्त्रियों को नहीं करना चाहिए।
- इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से पक्षाघात यानी लकवा एवं मृत्यु भी हो सकती है।
रंग-भेद से इसकी तीन जातियां पाई जाती हैं, जो ये हैंः-
सिताराम सावजी उतेकर

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