महा आयुर्वेदि जड़ीबूटी गुग्गुल
गुग्गुल क्या है?
गुग्गुल वृक्ष के किसी भी हिस्से को तोड़ने से उसमें से एक प्रकार की सुगन्ध निकलता है। इस वृक्ष से प्राप्त गोंद को ही गुग्गुलु कहते हैं। आयुर्वेदीय ग्रंथों में महिषाक्ष, महानील, कुमुद, पद्म और हिरण्य गुग्गुलु इन पाँच भेदों का वर्णन मिलता है। महिषाक्ष गुग्गुलु भौंरे के समान काले रंग का होता है। महानील गुग्गुलु नीले रंग का, कुमुद गुग्गुलु कुमुद फल के समान रंगवाला, पद्म गुग्गुल माणिक्य के समान लाल रंग वाला तथा हिरण्याक्ष गुग्गुलु स्वर्ण यानि सोने के समान आभा वाला होता है। यह 1.2-1.8 मी ऊँचा, शाखित, छोटे कांटा वाला वृक्षक होता है। यह गाढ़ा सुगन्धित, अनेक रंग वाला, आग में जलने वाला तथा धूप में पिघलने वाला, गर्म जल में डालने से दूध के समान हो जाता है। व्यवहारिक प्रयोग में आने वाला गुग्गुलु हल्का पीले वर्ण का निर्यास होता है, जो कि छाल से प्राप्त होता है, यह अपारदर्शी, रक्ताभ-भूरे रंग का एवं धूसर यानि भूरा-काले रंग का होता है। गुग्गुल गोंद की तरह होता है जो गर्म तासिर का और कड़वा होता है। नया गुग्गलु चिकना, सोने के समान, निर्मल, सुगन्धित, पीले रंग का तथा पके जामुन के समान दिखने वाला होता है। इसके अलावा नवीन गुग्गुलु फिसलने वाला, वात, पित्त और कफ को दूर करने वाला, धातु और शुक्राणु या स्पर्म काउन्ट बढ़ाने वाला और शक्तिवर्द्धक होता है। पुराना गुग्गुलु कड़वा, तीखा, सूखा, दुर्गन्धित, रंगहीन होता है। यह अल्सर, बदहजमी, अश्मरी या पथरी, कुष्ठ, पिडिका या मुँहासे, लिम्फ नॉड, अर्श या बवासीर, गण्डमाला या गॉयटर, कृमि, खाँसी, वातोदर, प्लीहारोग या स्प्लीन संबंधी समस्या, मुख तथा आँख संबंधी रोग दूर करने में सहायता करता है।गुग्गुलु का साग मीठा, कड़वा, ठंडे तासीर का, रूखा, कफवात को कम करने वाला होता है। गुग्गुल मधुर रस से भरा होने के कारण गुग्गुलु वात को कम करता है। कषाय रस होने से यह पित्त को दूर करने में मदद करता है तो तिक्त रस होने से कफशामक होता है। कृष्णवर्णी गुग्गुलु रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहना) में लाभकारी और पीले रंग का गुग्गुलु कफपित्त को कम करने वाला होता है। सफेद रंग का गुग्गुलु के लाभ वात और पित्तज संबंधी बीमारियों के चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है।
गुग्गुल के फायदे
आँखों के रोग में फायदेमंद गुग्गुल
कान के दुर्गंध को करे कम गुग्गुल
खट्टी डकार या अम्लपित्त से दिलाये राहत गुग्गुल
पेट का रोग या उदर रोग में फायदेमंद गुग्गुल
भगन्दर या फिस्टुला से दिलाये राहत गुग्गुल
पांडूरोग या एनीमिया में फायदेमंद गुग्गुल
अर्श या बवासीर से राहत दिलाये गुग्गुल
वातरक्त या गाउट के दर्द को करे कम गुग्गुल
विद्रधि या घाव में गुग्गुल से लाभ
व्रण या अल्सर से दिलाये राहत गुग्गुल
स्थौल्य रोग या मोटापा को कम करने में गुग्गुल के लाभ
जोड़ो के दर्द के लिए गुग्गुल के फायदे
गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं में गुग्गुल के फायदेमंद
दर्द और सूजन कम करने में फायदेमंद गुग्गुल
त्वचा के लिए लाभकारी गुग्गुल
डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक गुग्गुल
कब्ज से राहत दिलाने में लाभकारी गुग्गुल
गंजापन दूर करने में गुग्गुल के फायदे
एसिडिटी से राहत दिलाने में फायदेमंद गुग्गुल
बुखार कम करने में फायदेमंद गुग्गुल
फ्रैक्चर हो जाने पर गुग्गुल का प्रयोग
गुग्गुल का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए
बीमारी के लिए गुग्गुल के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए गुग्गुल का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें। चिकित्सक के परामर्शानुसार गुग्गुल का सेवन 125-250 मिग्रा कर सकते हैं। बाजार में व्यापारी लोग इसमें कई प्रकार का मिश्रण कर देते हैं। अत: अच्छी तरह परीक्षण कर ही इसे खरीदना चाहिए। तथा सदैव नवीन गूगल का ही व्यवहार करना चाहिए। गुग्गुल को गोमूत्र, खदिर काढ़ा, दशमूल अथवा अग्निमंथ काढ़ा के साथ सेवन करने से सूजन, कुष्ठ तथा मोटापा में फायदा पहुँचता है।
गुग्गुल का सेवन ज्यादा करने के साइड इफेक्ट
गुग्गुलु का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से मोतियाबिंद, शोष तथा रूखी त्वचा जैसी समस्याएं होने लगती है।गुग्गुल का सेवन करते वक्त एक बात का ध्यान रखें कि अम्ल या एसिडीक पदार्थों, मसालेदार पदार्थों का सेवन, परिश्रम, सेक्स करना, धूप में घूमना तथा शराब पीना छोड़ देना चाहिए।
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