Ayurvedi Jadbuti Vidhara
एक लता प्रजाति की औषधीय वनस्पति है। आयुर्वेद में इसका प्रयोग रसायन यानी सातों धातुओं को पुष्ट करने वाले पदार्थ के रूप में किया जाता है। आधुनिक वैज्ञानिक समुद्रशोष को ही विधारा मानते हैं तथा दक्षिण में मुम्बई, सूरत आदि के बाजारों में बरधारा या विधारा के नाम से समुद्रशोष या फांग की मूल या शाखाओं के टुकड़े ही प्राय देखने में आते हैं। इसका एक मात्र कारण यही है कि समुद्रशोष और विधारा में बहुत कुछ समानता पाई जाती है, लेकिन सच यह है कि दोनों पौधे पूरी तरह भिन्न हैं। इस समानता और भ्रम के कारण ही नेपाली और समुद्री इलाकों की भाषाओं तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मराठी, गुजराती आदि में इसका नाम समुद्रशोष से मिलता-जुलता है। कुछ विद्वान विधारा तथा निशोथ को एक ही पौधा मानते हैं, लेकिन यह पौधे भी आपस में पूर्णतया भिन्न है। विधारा के वृद्धदारक और जीर्णदारू नाम से दो भेद हैं। वृद्धावस्था का नाशक होने से वृद्धदारक कहलाता है। इसकी लता लंबे समय तक चिरस्थायी रहने से इसे वृद्ध कहा गया है। इसकी लता की आकृति बकरी की आंत जैसी टेढ़ी-मेढ़ी होने से इसे अजांत्री या छागलांत्रिका कहते हैं। विधारा की लता खूब लम्बी होती है। इसलिए यह दीर्घवल्लरी भी कहलाती है। विधारा की दो प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।इसकी अत्यन्त विस्तार से जमीन पर फैलने वाली, बड़े-बड़े वृक्षों पर चढ़ने वाली शाखा-प्रशाखायुक्त लता होती है। इसके फूल गुलाबी-बैंगनी रंग के, 7-15 सेमी लम्बे, बाहर से सफेद रोयें वाले तथा अन्दर से गुलाबी व जामुनी रंग के होते हैं। इसके फल 2 सेमी व्यास के, गोलाकार, कच्ची अवस्था में हरे तथा पकने पर भूरे-पीले रंग के होते हैं।विधारा की एक और प्रजाति है वन्य विधारा। इसकी लम्बी, झाड़ीदार और ऊपर चढ़ने वाली लता होती है। इसके पत्ते अण्डाकार-हृदयाकार होते हैं। इसके फूल गुलाबी रंग के तथा फल लाल रंग के होते है। कई जगहों पर विधारा के स्थान पर इसका प्रयोग किया जाता है।
विधारा के फायदे
विधारा स्वाद में कड़वा, तीखा, कसैला तथा गर्म प्रकृति का वनस्पति है। यह जल्द पचता है और भोजन को भी पचाता है। विधारा के प्रयोग से कफ तथा वात शान्त होता है। यह औषधि पुरुषों में शुक्राणुओं को बढ़ाती है और वीर्य को गाढ़ा करती है। इसके सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं, सातों धातु पुष्ट होते हैं और मनुष्य बलवान तथा तेजस्वी होकर लम्बी आयु तक जवान बना रहता है। विभिन्न रोगों में इसके औषधीय प्रयोग की विधि और मात्रा का विवरण नीचे दिया जा रहा है।
सिर दर्द में फायदेमंद विधारा का लेप
पेट का फोड़ा ठीक करे विधारा का प्रयोग
पेट दर्द में आराम दिलाए विधारा का सेवन
बवासीर में विधारा के प्रयोग से लाभ
मधुमेह में लाभकारी है विधारा का सेवन
मूत्र रोग में विधारा का उपयोग फायदेमंद
गर्भधारण करने में मदद करता है विधारा का सेवन
उपदंश या सिफलिस रोग में विधारा से फायदा
सफेद प्रदर या ल्यूकोरिया में विधारा के इस्तेमाल से लाभ
अण्डकोष की सूजन मिटाए विधारा का उपयोग
अर्धांग पक्षाघात (लकवा) में विधारा के सेवन से लाभ
जोड़ों के दर्द में विधारा के इस्तेमाल से फायदा
हाथीपाँव (फाइलेरिया) में विधारा का उपयोग लाभदायक
चर्म रोग में विधारा से फायदा
विधारा के इस्तेमाल से घाव और चेचक में लाभ
मोटापा कम करने में विधारा करता है मदद
विधारा का सेवन से बढ़ती है शारीरिक-मानसिक ताकत
आँखों के रोग में लाभकारी है विधारा का प्रयोग
रक्त को रोकने में फायदेमंद विधारा का औषधीय गुण
शक्ति बढ़ाने में लाभकारी विधारा
मनुष्य की आयु बढ़ाने में विधारा का औषधीय गुण फायदेमंद
मस्तिष्क को बल प्रदान करे विधारा
थकावट दूर करने में विधारा फायदेमंद
विधारा के प्रयोग से दूर करे दूबलापन
उंगलियों की सूजन मिटाता है विधारा

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